संस्कार एवं नैतिक शिक्षा में निरंतर गिरावट चिंता का विषय: डॉ सत्येंद्र
ना पढ़ने वाले छात्र ही कर रहे नैतिक शिक्षा का हनन
संस्कार एवं नैतिक शिक्षा में निरंतर गिरावट चिंता का विषय: डॉ सत्येंद्र
बक्शी का तालाब 12 दिसंबर 2023।
जहां पर एक तरफ सरकार चाहती है कि सब पढ़े सब बढ़े और संस्कारी शिक्षा अर्जित करें वहीं पर आज के समय में संस्कार बिल्कुल समाप्त होते नजर आ रहे हैं आने वाले समय के लिए बहुत ही चिंता का विषय है। आज के दो दशक पहले गुरु और छात्र के बीच में शिक्षा- दीक्षा का अच्छा रिश्ता रहता था गुरु का सम्मान छात्र अच्छी पढ़ाई करने के बाद से नौकरी पाने तथा एक अच्छा संदेश गुरुओं का देते थे आज के समय में बहुत बड़ा बदलाव सामने आता हुआ दिख रहा है
डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह, शिक्षाविद्
एक छोटी सी कहानी जो की सत्य है लखीमपुर खीरी का हमारा एक छात्र बहुत गरीब था पढ़ने लिखने में अच्छा था लेकिन समय पर विद्यालय नहीं पहुंच पाता था उसके पीछे सबसे बड़ा मुख्य कारण कि वह घर के काम के साथ में एक छोटी सी नौकरी भी करता था उसी से अपनी पढ़ाई की फीस देता था लेकिन वह छात्र इतना आज्ञाकारी था कि जब भी उसे कोई कार्य दिया जाता बड़ी तन्मता और शीघ्रता से करता था और अपनी पढ़ाई के लिए वह अतिरिक्त समय निकालकर ए करके अपना पठन-पाठन संबंधी वार्तालाप करता रहता था आज वह छात्र जर्मनी के एक संस्थान से प्रबंधन की डिग्री ले रहा है उसने थोड़ा-थोड़ा पैसा इकट्ठा करके विदेशी जाने का निर्णय लिया और आज वह विदेश में रहकर अच्छी शिक्षा ले रहा है गुरु कभी अपने छात्र-छात्राओं को बुरे रास्ते पर जाने के लिए नहीं कहता आज के परिवेश में वही छात्र खराब रास्तों पर जाते हैं चीन में संस्कार एवं नैतिकता की कमी है। अभिभावक छात्रों के पठन-पाठन पर तो खर्च करते हैं लेकिन उन छात्रों को इतना ज्यादा छूट दे देते हैं कि वह छात्र बिगड़ जाते हैं और गुरु का तो सम्मान छोड़ दीजिए अपने माता-पिता और अपने परिवार तथा अपने रिश्तेदारों का भी सम्मान करना बंद कर देते हैं इस प्रकार की धरणा आज के समय में बहुत तेजी से विकसित हो रही है जो काफी चिंताजनक है अभी हाल ही में अयोध्या में श्री राम मंदिर में पुजारी की नियुक्ति को लेकर के एक बहुत बड़ा साक्षात्कार किया गया जिसमें 3000 लोगों ने प्रतिभाग किया और उसमें से सिर्फ एक ही पुजारी पात्र निकाला अब आप समझ सकते हैं कि आज के समय में नैतिकता बड़ों का सम्मान गुरुओं का सम्मान जिस तेजी से खत्म हो रहा है। चन्द्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शिक्षाविद् एवं समाजसेवी डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आज छात्र-छात्राएं पढ़ना नहीं चाहते पढ़ने के तमाम नए तरीकों का विकास हुआ लेकिन विकास के साथ-साथ में नैतिकता का पतन होने लगा नैतिकता के पतन के पीछे कहीं ना कहीं आज के समय में जीवन यापन के संसाधनों का बढ़ना है और जिस तरीके से दिखावा बढ़ रहा है वह छात्र-छात्राओं के लिए अभिशाप होता चला जा रहा है आज पूरे समाज को विचार करना होगा और जिस स्तर पर गिरावट दर्ज हो रही है उसे सिर्फ घर का मुखिया या अध्यापक ही रास्ते पर ला सकता है इस विचार में सभी लोगों को बढ़-कर कर आगे आने की आवश्यकता है। लेखक के स्वयं के अपने विचार हैं।
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