अच्छी बारिश से लहलहाने लगी धान की फसल अब आई प्रबंधन की बारी - प्रोफेसर सत्येंद्र सिंह
करते रहे निगरानी बढ़ सकता है गधी कीट का खतरा: डॉ सत्येंद्र सिंह
11 सितम्बर
प्रदेश में हुई झमाझम बारिश होने से धान की फसल की सेहत सुधरने लगी है किसानों के चेहरे में मुस्कान देखने को मिल रही है वहीं पर बहुत सारे किसान अभी धान की पछेती प्रजातियों की रोपाई कर रहे हैं। फसल को देखकर किसानों के चेहरे पर मुस्कान दिखाई पड़ रही है।
जनपद में अच्छी बरसात से किसान गांव के चौराहों और बाजारों में चर्चा करने लगे है यदि इसी तरह बारिश होती रही तो धान की फसल अच्छी होगी। इस समय धान की अगेती फसल ग्रोथ अवस्था में है और यदि अच्छी बरसात होती रही तो उत्पादन बढ़ेगा।
=कृषि वैज्ञानिकों ने दी अपनी राय=
चन्द्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कृषि कीट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पिछले हफ्ते धन तेजी से सूख रहा था और धान को अधिक पानी की आवश्यकता थी बरसात अमृत के रूप में हुई है और इस प्रकार की बरसात से धन को सीधे लाभ होता है प्रमुख रूप से आद्रता अधिक बढ़ने पर कीट एवं बीमारियों का भी खतरा बढ़ता है यहां पर किसानों को सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। डॉ सिंह ने बताया कि धान की फसल पर धान का तन छेदक कीट इस समय बहुत तेजी से नुकसान पहुंचता है प्रमुख रूप से इस कीट की कैटरपिलर अवस्थाएं बहुत सक्रिय हो जाता है इसका कैटरपिलर जल भराव की स्थिति में भी नुकसान करता रहता है यह छोटे तानों में छेद कर देता है जिससे पूरा पौधा सूख जाता है।
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=उर्वरक एवं सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन से बढ़ेगा उत्पादन=
संमंवित उर्वरक प्रबंधन एवं पोषक तत्व प्रबंधन से धान की उपज बढ़ाई जा सकती है इस वर्ष बरसात बहुत कम हुई है मृदा में अधिक गर्मी के कारण लाभकारी जीवाणु नष्ट हुए इसलिए सूक्ष्म पोषक तत्व के द्वारा उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है कृषि महाविद्यालय के सस्य वैज्ञानिक डॉ गजेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों को सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम जिंक, आयरन, मैंगनीज मॉलीब्लेडिनम तथा कॉपर बोरान का छिड़काव करना चाहिए जमीन में सूक्ष्म पोषक तत्वों की निरंतर कमी हो रही है जिससे धान के उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है।
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=तना छेदक कीट का समन्वित प्रबंधन=
कीट विज्ञान विभाग के विभागध्यक्ष डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया की प्रमुख रूप से धान के खेत के आसपास घास नहीं उगने देना चाहिए, रात के समय प्रकाश प्रपंच लगाकर वयस्क को एकत्रित कर नष्ट कर देना चाहिए, धान की कीट प्रतिरोधी प्रजातियां ही बोना चाहिए। खड़ी फसल में इस कीट का प्रकोप होने पर कीटनाशक के द्वारा ही प्रबंध किया जा सकता है इसके लिए जब खेत में एक दो पौधे एक-एक मीटर की दूरी में सूखे हुए दिखाई पड़ने लगी तो क्लोरोपपयरीफास 50% ईसी एवं साइपरमैथरीन 5% ईसी की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से कैटरपिलर तेजी से मरने लगते हैं और फसल नुकसान होने से बच जाती है । छिड़काव एक सप्ताह के अंतराल पर पुनः दोहराना चाहिए।
=कीटनाशकों का छिड़काव करते समय रखें विशेष सावधानी=
छिड़काव करते समय अपने मुंह पर मास्क तथा आंखों में चश्मा तथा पैरों में जुते एवं हाथ में ग्लव्स पहनकर ही छिड़काव करें। बहुत तेज हवा चलने पर छिड़काव नहीं करना चाहिए। कीटनाशक सदैव रजिस्टर्ड दुकान से ही खरीदें एवं पक्का पर्चा अवश्य प्राप्त कर लें।
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