कृषि महाविद्यालय में विजेता एवं उपविजेता टीमों को किया गया पुरस्कार वितरण

 




बक्शी का तालाब 7 नवंबर

चंद्रभानु गुप्त कृषि महाविद्यालय में तीन नवंबर से चल रहे वार्षिक खेल कूद प्रतियोगिता का समापन मंगलवार को विजेता एवं उपविजेता टीमों के  पुरस्कर वितरण के साथ संपन्न हुआ।


चंद्रभान गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय महाविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. फिदा हुसैन अंसारी ब महामंत्री बैजनाथ रावत के साथ निदेशक प्रो योगेश शर्मा व प्राचार्य प्रो गजेंद्र सिंह उपस्थित  होकर विजेता एवं उपविजेता टीमों को पुरस्कृत किया। 


 


 पुरस्कार वितरण के समय खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन करने के लिए महाविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग के सह -आचार्य डॉ. योगेंद्र कुमार सिंह, सतीश चंद्र पांडे, डॉ हृदय नारायण तिवारी, दुर्गेश कुमार सिंह, डॉ रवी शंकर वर्मा, श्रीमती प्रतिमा सिंह, धनेंद्र कुमार सिंह, आशुतोष श्रीवास्तव, डॉ सुधाकर सिंह, डॉ धर्मेश कुमार सिंह, डॉ केडी सिंह, डॉ रजनी शुक्ला, डॉ अनिल वर्मा, डॉ विवेक वर्मा, डॉ हरीश यादव सहित सभी  शिक्षक  एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।

पिछले  चार दिनों मे आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पदक व सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया।

इन खेल प्रतियोगिताओं में क्रिकेट, कबड्डी, फुटबाल, दौड़, ऊंची कूद, भाला फेंक, गोला फेंक, खो खो, रंगोली प्रतियोगिता व वाद  विवाद प्रतियोगिता शामिल थी जिसमे छात्रों के साथ साथ छात्राओं ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।  महाविद्यालय के अध्यक्ष डॉ फिदा हुसैन अंसारी जी ने इस मौके पर खिलाड़ियों व आयोजन समिति से जुड़े शिक्षकों व विद्यार्थियों की जम कर प्रसंशा की।

इस अवसर पर महाविद्यालय के संस्थापक श्रद्धेय बाबू भगवती सिंह जी को याद करते अध्यक्ष जी ने बताया कि बाबूजी को खेल से बहुत प्रेम था । कृषि महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि

इस पांच दिवसीय खेल कूद प्रतियोगिता को सफलतापूर्वक आयोजित करने में खेल प्रशिक्षक मनोज सिंह व महाविद्यालय के खेल समिति के सदस्य छात्र प्रखर राय, आदित्य सिंह, अमित सिंह, प्रत्युष सिंह , वेदांश सिंह इत्यादि का विशेष योगदान रहा।

Comments

Popular posts from this blog

चन्द्रभान गुप्ता कृषि महाविद्यालय लखनऊ में फ्रेशर पार्टी का आयोजन

सीएचसी सण्डीला अधीक्षक ने बचाई बच्चे की जान

अच्छी बारिश से लहलहाने लगी धान की फसल अब आई प्रबंधन की बारी - प्रोफेसर सत्येंद्र सिंह