चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्र- छात्राओं को बदलते मौसम में कीटों की निगरानी एवं पूर्वानुमान के लिए किया गया प्रशिक्षित
बदलते मौसम में कीटों की कैसे करें निगरानी पर छात्र- छात्राओं ने प्रैक्टिकल के साथ ली सीख।
महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने छात्रों को बताया कि सरसों की फसल में लगने वाले कीटों की निगरानी करते रहे किसान
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब स्थित चंद्रभानु गुप्त कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में छात्र- छात्राओं को बदलते मौसम में कीटों की निगरानी एवं पूर्वानुमान के लिए प्रशिक्षित किया गया। महाविद्यालय के कृषि कीट विज्ञान विभाग के सहा- आचार्य डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सुबह के समय ठंडक हो रही है और दिन का तापक्रम बढ़ रहा है इस बदलते तापक्रम में बहुत सी फसलों में पत्ती चूसने वाले कीटो की संख्या बढ़ जाती है इसकी निगरानी और पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए महाविद्यालय के बीएससी (कृषि ) के छात्र -छात्राओं को येलो स्टिकी ट्रैप सरसों के खेतों में कैसे लगाए जाएंगे उनके द्वारा कैसे पापुलेशन की गणना होगी इस पर छात्र- छात्राओं को प्रशिक्षित किया गया। डॉ सिंह ने बताया कि प्रमुख रूप मांहू कीट की मॉनिटरिंग हेतु ट्रायल लगाए गए हैं 15 दिसंबर तक इसका डेटा लिया जाएगा, अभी सरसों के खेतों में आरा मक्खी की बहुत कम संख्या देखने को मिली है मांहू बिल्कुल नहीं है मित्र कीट जिसमें प्रेयिंगमेंटिड, क्राइसोपर्ला और लेडीबर्ड बीटल मिले हैं। यह फसल उत्पादन होने की अच्छे संकेत हैं।
यह सबसे सस्ती और किसान उपयोगी विधि है किसान इस विधि का उपयोग करके अपने खेतों में लगने वाले कीटों का पता लगा सकता है और समय पर प्रबंधन भी कर सकते है जिससे किसान लाभान्वित होंगे। इस विधि में पीले कागज एवं गोंद की आवश्यकता होती है इसे विभिन्न आकारों में काटकर नीचे दफ्ती लगाकर लकड़ी के स्टैंड पर खेतों की फसलों के आसपास लगा दिया जाता है, जिससे दो-तीन दिन तक निगरानी करते रहते हैं।
इस विधि द्वारा कीटों की गणना आसानी से की जा सकती है। प्रशिक्षण में कृषि महाविद्यालय के मेन्टर छात्र निखिल प्रताप सिंह, निखिल मिश्रा, हर्षित सिंह, सुधांशु नंद, दीपांशु द्विवेदी, नितिन, प्रतिपाल सिंह, रामगोपाल सुशांत उपाध्याय, गुरप्रीत सिंह सहित 224 से अधिक छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो गजेंद्र सिंह ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा वैल्यू ऐडेड ट्रेनिंग दी जा रही जिससे छात्र- छात्राएं प्रशिक्षण लेकर तकनीकी पद्धति को किसानों के खेतों तक पहुंचाने का काम कर रहे है जिससे कम खर्चे में किसान अपनी फसलों में लगने वाले कीटों को बचा रहे हैं।
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