आरएसएस ने किया सामाजिक समरसता सहभोज कार्यक्रम
सण्डीला(हरदोई)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भारत में एक प्रमुख हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जो अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। आरएसएस के सरसंघचालक (प्रमुख) सरदार स्वर्ण सिंह ने तहसील क्षेत्र के समद खेड़ा में राम भरोसे इंटर कॉलेज में एक शाखा कार्यक्रम में भाग लिया, जिसे सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के लिए "संगम कार्यक्रम" के बैनर तले आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत एम.एस. गोलवलकर, बलिराम हेडगेवार और माधवराव एम. गुरुरावकर जैसे प्रतिष्ठित आरएसएस नेताओं के चित्रों पर पुष्प अर्पित करने के साथ हुई। प्रांत संचालक (क्षेत्रीय प्रमुख) ने आरएसएस के पांच स्तंभों - परिवार, शिक्षा, नागरिक कर्तव्य, सद्भाव और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया। कार्यक्रम में क्षेत्र की 17 शाखाओं ने भाग लिया, जिसमें सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का एक मुख्य आकर्षण प्रांत संचालक द्वारा समाज के हाशिए पर पड़े लोगों को सम्मानित करना था, जिसमें सफाईकर्मी सूरज सहित और अन्य लोग शामिल थे। इस कार्यक्रम में समाज में उनके योगदान के लिए रामआसरे बाल्मीकी और राजरानी जैसी हस्तियों को भी सम्मानित किया गया, जिन्हें पट्टिकाओं और स्मृति चिन्हों के माध्यम से सम्मानित किया गया। प्रांत संचालक नागेंद्र, साहिल जिला कार्यवाह शशांक, जिला प्रचारक राजेश, जिला बुद्धि प्रमुख उदय, जिला समग्र ग्राम विकास प्रमुख आलोक जैसे उल्लेखनीय लोगों ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (महिला शाखा) और स्थानीय नेतृत्व के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अखिलेश, अनुराग, अरविंद, अभिषेक और अन्य सहित आरएसएस के प्रमुख सदस्य भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम सामाजिक कल्याण और सामुदायिक विकास के प्रति आरएसएस की प्रतिबद्धता का एक सच्चा प्रतिबिंब था, क्योंकि इसने संगठन के मूल मूल्यों को बढ़ावा देते हुए समाज के गुमनाम नायकों का सम्मान किया। सम्मानित अतिथियों, स्थानीय नेताओं और समर्पित स्वयंसेवकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की भव्यता को और बढ़ा दिया, जिससे यह सभी के लिए एक यादगार और प्रभावशाली अवसर बन गया। समद खेड़ा में राम भरोसे इंटर कॉलेज में संगम कार्यक्रम एक शानदार सफलता थी, जिसमें सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने, हाशिए पर पड़े लोगों का सम्मान करने और नागरिक कर्तव्य और पर्यावरण संरक्षण के मूल्यों को बनाए रखने के लिए आरएसएस के समर्पण को दर्शाया गया। इस तरह की पहल न केवल समाज के ताने-बाने को मजबूत करती है, बल्कि व्यक्तियों को राष्ट्र निर्माण और सामुदायिक विकास में सकारात्मक योगदान देने के लिए भी प्रेरित करती है।
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