भौली गांव में रावण वध के साथ दशहरा मेला का हुआ भव्य समापन

 




उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बक्शी का तालाब नगर पंचायत के भौली गांव  के दशहरा मेले में रामलीला समारोह में श्रीराम वनवास की घटना का सजीव मंचन किया गया। गांव के ही शिक्षाविद् एवं मेला कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मंचन के माध्यम से यह दर्शाया गया श्री राम का वनवास रामायण की सबसे बड़ी घटना है राम रावण का युद्ध का अच्छा मंचन किया गया।। उन्होंने कहा कि रामायण की कथा के अनुसार मंचन किया गया कैकेयी की जिद्द की वजह से भगवान राम को वन जाना पड़ा था।कैकेयी ने हमेशा राम को अपने पुत्र भरत से अधिक प्रेम किया। कभी भी कैकेयी ने राम के साथ कोई भेद भाव नहीं किया। यही वजह थी कि जब राम के वन जाने की वजह का पता भरत को चला तो वह हैरान हुए थे कि माता कैकेयी ऐसा कैसे कर सकती है।


उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का जन्म रावण वध करने के उद्देश्य से हुआ था। अगर राम राजा बन जाते तो देवी सीता का हरण और इसके बाद रावण वध का उद्देश्य अधूरा रह जाता। इसलिए देवताओं के अनुरोध पर देवी सरस्वती कैकेयी की दासी मंथरा की मति फेर देती हैं। मंथरा आकर कैकेयी का कान भरना शुरू कर देती है कि राम अगर राजा बन गए तो कौशल्या का प्रभाव बढ़ जाएगा। इसलिए भरत को राजा बनवाने के लिए तुम्हें हठ करना चाहिए। मंथरा की जुबान से देवी सरस्वती बोल रही थीं। इसलिए मंथरा की बातें कैकेयी की मति को फेरने के लिए काफी थीं।


कैकेयी ने खुद को कोप भवन में बंद कर लिया। राजा दशरथ जब कैकेयी को मनाने पहुंचे तो कैकेयी ने भरत को राजा और राम को चौदह वर्ष का वनवास का वचन मांग लिया। इस तरह भगवान राम को वनवास जाना पड़ा। डॉ सिंह ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि राव वनवास का संबंध में एक शाप से भी है। कथा के अनुसार नारद मुनि के मन में एक सुंदर कन्या को देखकर विवाह की इच्छा जगी। नारद मुनि नारायण के पास पहुंचे और उनसे हरि जैसी छवि मांगी। हरि का मतलब विष्णु भी होता है और वानर भी। भगवान ने नारद को वानर का मुख दे दिया। इस कारण से नारद मुनि का विवाह नहीं हो पाया। क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को शाप दे दिया कि आपको देवी लक्ष्मी का वियोग सहना पड़ेगा और वानर की सहायता से ही आपका पुन: मिलन होगा। इस शाप के कारण राम-सीता का वियोग होना था, इसलिए भी राम को वनवास जाना पड़ा।


इस अवसर पर मेला समिति के सभी सम्मानित सदस्यों ने सभी का आभार किया। आयोजित मंचन एवं मेला में  गांव वासियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। रावण के पुतले का दहन मेला कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार रावत एवं आशू राजपूत ने किया। मेला कमेटी के अध्यक्ष राजकुमार रावत एवं रूपेन्द्र कुमार सिंह चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मेला कमेटी के संरक्षक अश्विनी कुमार सिंह एवं सुशील कुमार सिंह ने कहा हम लोग 35 वर्षों से अपने निज गांव में मेला लगा रहे हैं।

वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

https://youtu.be/tQ_FtzPlDps

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