नैक में हुआ बदलाव लाभकारी होगा : डॉ सत्येंद्र
प्रोफेसर डॉ सतेंद्र सिंह |
देश का विकास तभी होगा जब शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था का व्यवसायीकरण बंद होना चाहिए।
शिक्षण संस्थान शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के साथ- साथ समाज के विकास में अपनी अग्रणी भूमिका जब से निभाना शुरू कर देंगे देश तरक्की करेगा। आज शिक्षण संस्थान नौकरी का साधन बन गए और निजी विश्वविद्यालय सिर्फ छात्रों की संख्या बढ़ाने में लगे हुए हैं और शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह से राजनीतिक तत्व अपने विश्वविद्यालय और महाविद्यालय खोलकर यह दर्शना चाहते हैं कि हम देश को तरक्की के रास्ते पर ले जा रहे हैं यह कहीं ना कहीं एक सिर्फ दिखावा है आज शिक्षा की गुणवत्ता निरंतर गिरती चली जा रही है जो चिंता का विषय छात्र सिर्फ पास होने के लिए प्रवेश लेता है ना कभी पढ़ने नहीं आता है और ना ही कभी पढ़ने पर जोर देता है भारत की शिक्षा में जिस तरीके से बदलाव दिख रहा है वह घातक है.।
अभी हाल ही में सरकार ने डॉ. राधाकृष्णन कमेटी की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, एक्रीडिएशन और रैंकिंग में बदलाव वाली रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है यह एक सफल कदम है। राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने अपने एक बयान में कहा कि आईआईटी के प्रोफेसर, कुलपति समेत अन्य विशेषज्ञों ने इसे तैयार किया। अब शिक्षण-सीखने की क्षमता, असेसमेंट, समाज में बदलाव, आंत्रप्रेन्योर, स्पोर्ट्स, ग्रामीण भारत अभियान, कला, संगीत, एनसीसी, एनएसएस, स्टार्टअप, शोध, यूजीसी दिशा-निर्देश लागू करने के आधार पर नैक मूल्यांकन में अंक मिलेंगे। सरकार ने डॉ. राधाकृष्णन कमेटी की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, एक्रीडिएशन और रैंकिंग में बदलाव वाली रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है।राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने बताया कि आईआईटी के प्रोफेसर, कुलपति समेत अन्य विशेषज्ञों ने इसे तैयार किया। अब सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर, क्लासरूम, कंप्यूटर के नाम पर नैक की मान्यता नहीं पा सकेगा। नए नियमों के तहत ग्रामीण इलाकों के छोटे-छोटे कॉलेज भी अब एक्रीडिएशन की रेस में दिग्गज आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों को टक्कर दे सकेंगे।
भ्रष्टाचार और भ्रामक जानकारी देने के आरोप वर्तमान नैक मूल्यांकन में कॉलेजों पर जांच टीम को रिश्वत देकर नैक ए प्लस, नैक ए लेने का आरोप लगता रहा है। अधिकतर शिक्षण संस्थाओं ने झूठी जानकारी देकर नैक की ग्रेडिंग प्राप्त की है यह समाज के लिए हितकर नहीं। इसके अलावा कॉलेज छात्रों को दाखिले के समय नैक मूल्यांकन के आधार पर भ्रामक जानकरियां देते हैं। जबकि इस ग्रेड में टीचिंग-लर्निंग, पढ़ाने के तरीके, परीक्षा का मूल्यांकन शामिल ही नहीं होता था। शिक्षण संस्थानों के विकास मेंगुणवत्ता से समझौता नहीं होना चाहिए राष्ट्रीय मूल्यांकन व प्रत्यायन परिषद (नैक) के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने बताया कि अब एजूकेशन डिलिवरी, टीचिंग-लर्निंग, परीक्षा, प्रश्नपत्र तैयार करने के तरीके, छात्रों को समझ आया कि नहीं इसे कैसे टेस्ट करते है, इन सभी बिंदुओं की परख होगी। इसके अलावा समाज में बदलाव लाने के लिए आंत्रपेन्योर बनकर बदलाव या फिर समाज में गलत चीजों को रोकने पर काम करने वाले संस्थानों को भी तवज्जो मिलेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 में गुणवत्ता युक्त शिक्षा और एक्रीडिएशन पर फोकस है। सरकार छात्रों की संख्या तो बढ़ाना चाहती है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा।अब लोकपाल की नियुक्ति और पर्यावरण का भी मूल्यांकन
अब उच्च शिक्षण संस्थानों में पर्यावरण की चिंता, इंडियन नॉलेज सिस्टम को पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य होगा। साथ नए नियमों के तहत छात्रों की शिकायतों के निपटारे के लिए लोकपाल की नियुक्ति, एससी-एसटी सेल, आतंरिक शिकायत समिति और निगरानी की भी जानकारी देनी होगी। इसके अलावा रूरल, ट्राइबल एरिया, बहुत पुराने कॉलेज, नए संस्थान, अलग-अलग क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन आधारित वर्ग होंगे। जैसे जनरल साइंस, आटर्स, कॉमर्स, टेक्निकल, योगा, मेडिटेशन व रिसर्च का होगा। शोध को समाज तक पहुंचाने के लिए संस्थाओं को आगे आना चाहिए आधुनिक समय में बंद कमरों में शोध होता रहा जिससे नई क्रांति नहीं आ पाई आज जिस तरह से आबादी बढ़ रही है 2050 तक देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करनी होगी शिक्षा की गुणवत्ता में और अधिक सुधार करने की आवश्यकता होगी देश तभी तरक्की करेगा जब शिक्षा की व्यवस्था सुधरेगी।
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